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आवेश किसे कहते है? – परिभाषा, मात्रक, प्रकार, गुणधर्म

आवेश किसे कहते हैं?

परिभाषा: जब कोई भी पदार्थ अपने सामान्य व्यवहार से अलग व्यवहार प्रदर्शित करने लग जाता है। अर्थात उसके कारण विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है। पदार्थ के इस गुण को विद्युत आवेश कहते हैं।

अक्सर हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि जब कोई प्लास्टिक के स्केल को हम अपने सिर के बालों से रगड़ते है। तो रगड़ने के पश्चात हम उसको छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों में पास लाते हैं। तो वह स्केल कागज के टुकड़ों को अपनी और आकर्षित करता है। कागज के टुकड़ों को अपने से चपे लेता है। तो यह घटना विद्युत आवेश के कारण होती है।

विद्युत आवेश के अन्य उदाहरण हमारे दैनिक जीवन में होते हैं। जैसे अंधेरे में टेरीकॉट के कपड़े को अपने शरीर से उतारते हैं तो उसमें बिजली की तरह चमक उत्पन्न होती है। यह सब घटनाएं विद्युत आवेश के कारण होती है।

विद्युतमय पदार्थ हो आवेशित पदार्थ भी कहा जाता है।

आवेश एक अदिश राशि है।

यह Q से प्रदर्शित करते हैं।

आवेश का SI मात्रक क्या है?

आवेश का SI मात्रक :- आवेश का SI मात्रक कूलाम है।

CGS मात्रक = स्टेट कुलाम या फ्रेंकलाइन [1 कुलाम = 3 x 10⁹ स्टेट कूलाम ]

1 कुलाम आवेश = 3 x 10⁹ esu आवेश = 1/10 emu आवेश = 1/10 ऐब कुलाम

esu = स्थिर वैद्युत इकाई

emu = विद्युत चुम्बकी इकाई

आवेश कितने प्रकार के होते हैं?

आवेश के प्रकार :- आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

  1. धन आवेश
  2. ऋण आवेश

जब कोई दो वस्तुओं को आपस में रगड़ते हैं तो एक में ऋण आवेश तथा दूसरी में धन आवेश उत्पन्न होता है अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।

उदाहरण- यदि काँच को रेशम के साथ रगड़ा जाय तो काँच में धन आवेश उत्पन्न होता है, लेकिन यदि काँच को रोआँ से रगडा जाय तो काँच में ऋण आवेश उत्पन्न होगा।

सजातीय आवेशों में प्रतिकर्षण होता है अर्थात धन आवेशित वस्तुएँ एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है। और ऋण आवेशित वस्तुएँ भी एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है। विजातीय आवेशों में आकर्षण होता है अर्थात एक धन आवेशित वस्तु और एक ऋण आवेशित वस्तु में आकर्षण होता है।

आवेश के गुणधर्म

आवेश के गुणधर्म :- आवेश के निम्न गुणधर्म है।

  • आवेश संरक्षण का नियम :- इस नियम के अनुसार आवेश को न तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है अर्थात पूरा आवेश संरक्षित रहता है। पूरे विलगित निकाय में आवेश सदैव संरक्षित रहता है।
  • आवेश का क्वाण्टीकरण :- जब दो कुचालक पदार्थ को आपस में रगड़ आ जाता है तो इलेक्ट्रॉनों के आदान-प्रदान के कारण उन पदार्थों पर आवेश उत्पन्न होता है। इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान सदैव पूर्ण संख्या में होता है। न्यूनतम आदान-प्रदान एक इलेक्ट्रॉन का हो सकता है। अतः किसी वस्तु पर आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश का पूर्ण गुण होता है।
  • विद्युत आवेश निर्देश तंत्र के चुनाव से स्वतंत्र होता है। अर्थात किसी वस्तु पर आवेश परिवर्तित नहीं होता है। किसी कण पर विद्युत आवेश का मान वेग पर निर्भर नहीं करता है।
  • किसी निकाय पर कुल आवेश का मान उसमें उपस्थित सभी आवेशों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।

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